संविधान
यह भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के प्रस्ताव एफ. 6-4/51 जी 2 (ए) 15-12-52 में अंतर्भुक्त है तथा समय-समय पर किए गए संशोधनों के साथ है।
नेशनल एकेडेमी ऑफ लेटर्स
क्योंकि यह आवश्यक समझा गया है कि सक्रिय रूप से भारतीय साहित्य के विकास का कार्य करने के लिए, ऊँचे साहित्यिक मानदंड स्थापित करने के लिए सभी भारतीय भाषाओं में साहित्यिक क्रिया-कलापों का समन्वय और उसे प्रोत्साहित करने के लिए एवं उन सबके माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता के उन्नयन के लिए एक राष्ट्रीय संस्था की स्थापना की जाए, अतएव यहाँ निम्नांकित प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाते हैं:
1. एक नेशनल एकेडेमी ऑफ लेटर्स (साहित्य की राष्ट्रीय संस्था) की स्थापना की जाए, जो ‘साहित्य अकादेमी’ कहलाएगी।
2. मुख्य कार्यालय
अकादेमी का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में होगा, लेकिन सामान्य परिषद् के कुल सदस्यों में से तीन-चौथाई सदस्यों द्वारा समर्थित प्रस्ताव से वह अन्यत्र भी स्थानांतरित किया जा सकता है।
3. संगठन और प्रकार्य
(क). अकादेमी एक निगमित निकाय होगी, उसकी एक स्थायी मुहर होगी तथा यह अपने नाम से नालिश कर सकेगी और उस पर नालिश की जा सकेगी।
(ख). इसके प्रकार्य और अधिकार निम्नलिखित होंगे:
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भारतीय भाषाओं में साहित्यिक विकास के लिए लेखकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना;
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एक भारतीय भाषा से अन्य भारतीय भाषाओं में, भारतीयेतर भाषाओं से भारतीय भाषाओं में तथा इसी प्रकार भारतीय भाषाओं से भारतीयेतर भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के अनुवादों को प्रोत्साहन देना अथवा उनकी व्यवस्था करना;
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विभिन्न भारतीय भाषाओं में साहित्यिक ग्रंथसूचियों, शब्दकोशों, ज्ञानकोशों, आधारभूत शब्दावलियों आदि का प्रकाशन करना और उनके प्रकाशन के लिए अन्य संस्थाओं और व्यक्तियों को सहायता प्रदान करना;
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अखिल भारतीय या प्रादेशिक स्तर पर साहित्यिक सम्मेलनों, गोष्ठियों और प्रदर्शनियों का आयोजन तथा उन्हें प्रायोजित करना;
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उत्कृष्ट कृतियों के लिए लेखकों को पुरस्कार, सम्मान और मान्यता देना;
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भारतीय भाषाओं और उनके साहित्य में शोध-कार्य को प्रोत्साहन देना;
- क्षेत्रीय भाषाओं तथा उनके साहित्य के शिक्षण और अध्ययन को अन्य क्षेत्रों में बढ़ावा देना;
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जनता में साहित्य के अध्ययन और प्रसार को बढ़ावा देना;
- (क) देश की जिन भाषाओं में लिखा जाता है, उनकी लिपियों का सुधार और विकास करना;
(ख) देवनागरी लिपि के व्यवहार को बढ़ावा देना और उस लिपि में विभिन्न भारतीय भाषाओं की चुनी हुई पुस्तकों के प्रकाशन को प्रोत्साहन देना;
(ग) आवश्यकता पड़ने पर किसी भाषा की मानक पुस्तकों को दूसरी भाषाओं की लिपियों में प्रकाशित करना; -
दूसरे देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और साहित्यिक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंध स्थापित करना;
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दान, अनुदान तथा वसीयत के रूप में संपत्ति प्राप्त करना, अपने कार्यों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से भूमि ख़रीदना और इस प्रकार की संपत्ति को बनाए रखना, गिरवी रखना या अन्य प्रकार की व्यवस्थाएँ करना; और
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अपने उद्देश्यों की सिद्धि के लिए सब प्रकार के आवश्यक कार्य करना, चाहे वे उपर्युक्त अधिकारों के अनुषंगी हों अथवा नहीं।
4. अकादेमी के पदाधिकारी
अकादेमी के निम्नलिखित पदाधिकारी होंगे:
- अध्यक्ष;
- उपाध्यक्ष;
- वित्तीय सलाहकार; और
- सचिव।
5. अध्यक्ष
कार्यकारी मंडल द्वारा अग्रेषित अधिकतम तीन व्यक्तियों की सूची में से नई सामान्य परिषद्, अध्यक्ष का चुनाव करेगी। निर्गामी सामान्य परिषद् द्वारा अग्रेषित किए गए नामों में से कार्यकारी मंडल पैनल का चयन करेगा।
नई सामान्य परिषद् द्वारा अपनी पहली बैठक में नए अध्यक्ष का चुनाव होने तक अध्यक्ष अपने पद पर आरूढ़ रहेगा।
अध्यक्ष को यह अधिकार होगा कि आवश्यकता पड़ने पर वह सामान्य परिषद् अथवा कार्यकारी मंडल की ओर से निर्णय ले, जो संबंधित समिति की अगली बैठक में उनकी अभिपुष्टि के लिए उपस्थित किए जाएँगे।
6. उपाध्यक्ष
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उपाध्यक्ष का चुनाव सामान्य परिषद् अपने सदस्यों में से करेगी।
- किन्हीं भी कारणों से यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हो तो उसकी अनुपस्थिति में अध्यक्ष के सभी कार्य तथा अधिकारों का प्रयोग उपाध्यक्ष करेगा।
7. वित्तीय सलाहकार
- वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाएगी।
- वित्तीय सलाहकार के निम्नलिखित कर्तव्य होंगे:
(क) वार्षिक प्राक्कलन प्रपत्र और आय-व्यय का लेखा-जोखा तैयार करने के लिए उत्तरदायी होना तथा उसे कार्यकारी मंडल और सामान्य परिषद् के सामने प्रस्तुत करना;
(b) कार्यकारी मंडल के नियंत्रण एवं सामान्य निरीक्षण के अधीन उसकी यह देखने की जिम्मेदारी होगी कि जो राशि जिन प्रयोजनों के लिए दी गई है या नियत की गई है, उनका उपयोग उन्हीं मदों में किया जा रहा है या नहीं; और
(c) ऐसे अन्य अधिकारों या कार्यों का संपादन, जो कार्यकारी मंडल ने सौंपे हों।
8. सचिव
- सचिव अकादेमी का प्रमुख कार्याधिकारी होगा और उसको कार्यकारी मंडल ऐसी अवधि के लिए तथा ऐसे नियमों और शर्तों पर नियुक्त करेगा, जैसा मंडल स्वयं तय करेगा।
- सचिव सामान्य परिषद्, कार्यकारी मंडल, वित्तीय समिति तथा अन्य स्थायी समितियों का पदेन सचिव होगा, जो परिषद् या कार्यकारी मंडल द्वारा स्थापित की जाएँ, लेकिन वह इनमें से किसी भी समिति का सदस्य नहीं समझा जाएगा।
- सचिव के निम्नलिखित कर्तव्य होंगे:
(क) अभिलेखों का संरक्षण तथा अकादेमी के कार्यकारी मंडल के नियंत्रण एवं सामान्य निरीक्षण में अकादेमी की संपत्ति और उसकी पूँजी का नियोजित कार्यों के लिए विनियोग करना;
(ख) अकादेमी के अधिकारियों की ओर से कार्यालय संबंधी पत्र-व्यवहार करना;
(ग) अकादेमी के अधिकारियों या उनके द्वारा नियुक्त सभी समितियों की सभी बैठकों से संबंधित सूचनाएँ जारी करना;
(घ) अकादेमी के अधिकारियों या उनके द्वारा नियुक्त सभी समितियों की सभी बैठकों के कार्य-विवरणों के रखने की व्यवस्था करना;
(ङ) वित्तीय सलाहकार के पर्यवेक्षण में अकादेमी के खातों का हिसाब-किताब रखना; और
(च) अकादेमी की ओर से समस्त अनुबंधों को निष्पारित करना।
9. अकादेमी की अधिकारी संस्थाएँ
अकादेमी की अधिकारी संस्थाएँ निम्नलिखित होंगी:
- सामान्य परिषद्;
- कार्यकारी मंडल;
- वित्त-समिति; और
- अन्य स्थायी समिति या समितियाँ, जिनको सामान्य परिषद् या कार्यकारी मंडल अपने किसी कार्य या कार्यों के संपादन के लिए नियुक्त करे।
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अद्यतन : 30.10.2024
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